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मुद्दतों महसूस होती रही - बस तेरी ही कमी,   तेरी आ

मुद्दतों महसूस होती रही - बस तेरी ही कमी,
  तेरी आँखों का काजल - और तेरे होठों की नमी,
     तेरी खनकती चूड़ियाँ - जिन पर मेरी साँसें थमी।

क्या चूम लूँ पलकों को - अपनी नज़रों से,
  या छू लूँ तेरे होठों को - अपनी गज़लों से ,
    या गिन लूँ चूड़ियाँ - तेरे पहलू में आकर ,
       या चुन लूँ तेरी तन्हाई -अपनी पलकों से ।

न ज़ुबाँ खोलो - अपनी नज़रों से कुछ बोलो,
  कंगन को खनकाओ - या फिर पाजेब को खोलो,
      समझ लूँगा इशारे सब- मुझे न कम में तुम तोलो,
           चाहत है इतनी सी - मेरे आँगन में तुम डोलो ।

बड़ी मासूम सी हो तुम - बड़ी नादान हो,
  रवायतों से दुनिया की - अभी अनजान हो,
      ज़रा घूँघट तो उठाओ - थोड़ी पहचान हो,
          आज कह दूँ क्या तुमको - तुम"मेरी जान"हो।

🍁🍁🍁

©Neel
  मेरी जान 🍁
archanasingh1688

Neel

Silver Star
Growing Creator
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मेरी जान 🍁 #शायरी

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