"दौड़ नहीं करती कभी जिंदगी पर अपने अस्तिव को जरूर तलाशती शुकून भरी छांव को सही जरुरत समझती मंजर के अनुसार कभी कभी भागती पर समझ के अनुसार रुक भी जाती यानी जिंदगी है एक प्रक्रिया तय समझों इसकी नहीं कोई जीने की पद्घति सहजता से ही इसको मिलती सही गति" ✍️ कमल भंसाली दौड़