बढ़ चले हैं अब कदम उजास में, रंग-रोगन हो रहा इतिहास में, दासता के चिह्न मिटने चाहिए, सब चलें संकल्प लेकर साथ में, खा रहे बूढ़े बड़े ही शौक से अब, मिल रही है शक्ति च्यवनप्राश में, निखरती है दिव्यता ख़ुद-ब-ख़ुद, हो समर्पित भाव जब विन्यास में, आस्था के सरोवर में खिले शत-शत, कमलदल सचमुच अथक प्रयास में, हार से मत हौसला छोटा करो जी, जीत मिलती है सदा उल्लास में, एकता और शांति का संदेश 'गुंजन', पथ प्रदर्शक बन रहा विकास में, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #बढ़ चले हैं अब कदम उजास में#