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लाइब्रेरी के प्रांगण में प्रवेश करते ही.. मानों वो

लाइब्रेरी के प्रांगण में प्रवेश करते ही..
मानों वो असँख्य किताबें,अपनी पलकें बिछाएं..
आपका बेसब्री से इन्तजार कर रही हो।
वही पुराने मेज ..वही पुरानी कुर्सियां..वही पुरानी अलमारियां,
और उन अलमारियों में पड़ी ..वही पुरानी किताबें...!
जिनमे से कइयों को तो.सालों से छुआ तक नही गया है।
आज भी अपने पाठक का इंतजार कर रही है।
लाइब्रेरी के बीच प्रांगण में..चारदीवारी पर चारो तरफ लगी..
उन महापुरुषों की वो पुरानी तस्वीरेँ..
जो इस लाइब्रेरी के इतिहास को बताने के लिए काफी हैं।
हाँ इसमे लगी वो बड़ी टीवी नई तो है..
लेकिन वो कहते है न ,की संगति का असर होता है..
तो वो भी अब पुरानी सी लगती है।तीन खम्बों पर लगे वो तीन पंखे..
जिसे शायद ही किसी ने चलते देखा हो!
यहां लगे टेबुल फैन..जिनमे से कुछ नए है तो...
कुक आज भी डुग-डुग करके..चलते है..!
खैर जो भी हो ..प्राचीनता को थामे.अपनी ये लाइब्रेरी
आज भी निरन्तरता और आधुकनिकता..का बोध कराती है।
ये कोई प्राचीन बिल्डिंग नही,न ही ये कोई संग्रहालय है!
ये तो खुद में एक जीता-जागता संसार है।
जिसने भी एक बार इसे महसूस कर लिया,
यहां कुछ समय बिता लिया,वो बार बार यहां आना चाहेगा..
शांत, एकांत और एक भीनी सी.खुशबू के साथ.
यहाँ का परिवेश आपको सदैव याद आएगा।

©पूर्वार्थ #किताबेंऔरहम 
#पुस्तकालय
लाइब्रेरी के प्रांगण में प्रवेश करते ही..
मानों वो असँख्य किताबें,अपनी पलकें बिछाएं..
आपका बेसब्री से इन्तजार कर रही हो।
वही पुराने मेज ..वही पुरानी कुर्सियां..वही पुरानी अलमारियां,
और उन अलमारियों में पड़ी ..वही पुरानी किताबें...!
जिनमे से कइयों को तो.सालों से छुआ तक नही गया है।
आज भी अपने पाठक का इंतजार कर रही है।
लाइब्रेरी के बीच प्रांगण में..चारदीवारी पर चारो तरफ लगी..
उन महापुरुषों की वो पुरानी तस्वीरेँ..
जो इस लाइब्रेरी के इतिहास को बताने के लिए काफी हैं।
हाँ इसमे लगी वो बड़ी टीवी नई तो है..
लेकिन वो कहते है न ,की संगति का असर होता है..
तो वो भी अब पुरानी सी लगती है।तीन खम्बों पर लगे वो तीन पंखे..
जिसे शायद ही किसी ने चलते देखा हो!
यहां लगे टेबुल फैन..जिनमे से कुछ नए है तो...
कुक आज भी डुग-डुग करके..चलते है..!
खैर जो भी हो ..प्राचीनता को थामे.अपनी ये लाइब्रेरी
आज भी निरन्तरता और आधुकनिकता..का बोध कराती है।
ये कोई प्राचीन बिल्डिंग नही,न ही ये कोई संग्रहालय है!
ये तो खुद में एक जीता-जागता संसार है।
जिसने भी एक बार इसे महसूस कर लिया,
यहां कुछ समय बिता लिया,वो बार बार यहां आना चाहेगा..
शांत, एकांत और एक भीनी सी.खुशबू के साथ.
यहाँ का परिवेश आपको सदैव याद आएगा।

©पूर्वार्थ #किताबेंऔरहम 
#पुस्तकालय