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माँ की बाँहें माँ की बाँहें बुला रहीं इशारे से अपन

माँ की बाँहें
माँ की बाँहें बुला रहीं
इशारे से अपने लाल को
देख कर उसको मुस्कुरा रही
सीने से लगा कर जान को
पल में हंँसे पल में रोए
खेले उसके साथ वो
मांँ की ममता ऐसी होए
हर पल चाहे उसे पास वो
लगे जरा सी खराश उसे
अत्यधिक घबराए वो
बेशक खुद ही उपचार कर सके
पर डॉक्टर के पास ले जाए वो
बालक की प्यारी सी मुस्कान पे
खुद भी ऐसे खिलखिलाए वो
मानो पहुंँची हो विष्णु धाम पे
और उनसे मिल के आई हो
मेरा बालक कहकर ऐसे
प्यार से गले लगाए वो
ओझल न हो जाए कहीं आंँखों से
आंँचल में ऐसे छिपाए वो
मांँ की बांँहे बुला रहीं
इशारे से अपने लाल को
देख कर उसको मुस्कुरा रही
सीने से लगा कर जान को
………………..........
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit
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माँ की बाँहें

माँ की बाँहें बुला रहीं
इशारे से अपने लाल को
देख कर उसको मुस्कुरा रही
सीने से लगा कर जान को
deveshdixit4847

Devesh Dixit

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