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जिंदगी की गाड़ी यू ही चलती रहे, रोज ट्रेन में मुझक

जिंदगी की गाड़ी यू ही चलती रहे,
रोज ट्रेन में मुझको जगह मिलती रहे ।
यहां से वहा रोज में भटकता रहु,
बंजारा लोग मुझको कहेते रहे ।
आखिर ये समय जाने कब आएगा?,
ट्रेन की बाते याद मेरा दिल करेगा ।
आखरी वक्त यू ही गुजर जायेगा,
गुजरात एक्सप्रेस की यादोमे सिमट जायेगा ।
और हर्ष को हमेशा ये जन्नत लगा,
दो घंटेबका सफर वो सुकूनदेय लगा ।
अब मिलो कभी तुम किसी दोस्त को,
मजे लुटाना जब तुम ट्रेन में हो ।
सफर ये हमेशा चलता जाए,
कोई गम हो तो भी भुला जाए ।
बाकी यारों यहाँ पे था क्या रखा,
स्टेशन आने पे सबको अलविदा कहेना।

©Harsh Patel
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