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अंदर अंदर बहुत ही अंदर हिस्से पे हिस्सेदार बहुत थे

अंदर अंदर बहुत ही अंदर
हिस्से पे हिस्सेदार बहुत थे

दरिया की चाह में चलते-चलते
हम दरिया के पार बहुत थे

मैं और भी चलता तो गम नहीं था
गम ये कि किराएदार बहुत थे

और नमक ने काटें सारे ज़ख्म
मेरे आंसू के हथियार बहुत थे

और टूट गिरना था गिर ही गया
मुझ जैसे सरकार बहुत थे...!!

©Gudiya Gupta (kavyatri).....
  #हिस्सेदार