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आजकल लिखता हूं तो‌ आंखे भर आती है बातें वही,लोग वह

आजकल लिखता हूं तो‌ आंखे भर आती है
बातें वही,लोग वही,फिर क्यूं ये कहानी है
बाते बहुत है अन्दर लिख नहीं पा रहा हूं
सोचता हूं,रो सा जाता हूं
लिखना सबके लिए,
मां-पापा,बहन-भाई के लिऐ
वो दोस्त,वो जगह जहां हम जिये
पर सोचूं जब आंख भर आती है
और फिर वो सब लिख ना सकूं

©आकाश भिलावली वाला
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