"पंक्तियों दर पंक्तियों तुम्हारी हर बात को सहेजती रही उनके छूटे अर्थों को ढूंढ़ती रही तुम्हारी चुप्पी, तुम्हारे लड़खड़ाते शब्दों के बीच मैंने तुम्हारी संवेदनाओं को परखा तुम तो भारी भरकम शब्दों के बोझ तले आदमी निकले खाली खाली से अर्थहीनताओं को आवाज़ देते रहे शब्दों के आडंबर से" #अर्थहीन #आडंबर #खालीपन #YQdidi #YQbaba #aesthesticthoughts #politicsoflove #प्रेम