बहुत गर्द जम गई हैं आसां कहाँ हैं यूँ सदियों से बंद खिड़की को खोलना पूरा मकां अब खंडहर बन गया हैं आसां कहाँ हैं अब इसे बसाना...... मैं कोशिश रोज़ करता हूँ ना गिरे मेरा वो मकां पुराना.... सुप्रभात। सूरज ने द्वार अपने खोले, अब तू भी मन की खिड़की खोल। #मनकीखिड़की #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #neerajwrites