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उसके शहर से मेरा कोई वासता तो नहीं था बस मुसाफिर ब

उसके शहर से मेरा कोई वासता तो नहीं था
बस मुसाफिर बन कर यूंहि चल दिये इक दफा
दिल में ख्वाबों का बोझ लिये कारवां बन रहा था
होले होले अब वो शहर मुझे अपना सा लग रहा था

©Gaurav Soni #City
उसके शहर से मेरा कोई वासता तो नहीं था
बस मुसाफिर बन कर यूंहि चल दिये इक दफा
दिल में ख्वाबों का बोझ लिये कारवां बन रहा था
होले होले अब वो शहर मुझे अपना सा लग रहा था

©Gaurav Soni #City
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Gaurav Soni

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