"यादों का सफ़र" यादों पर किसी के कोई पहरा नहीं है ज़ब इनका जी करें, चली आती है शौक से मेरी तरफ़ यें.! लगता है इन्हें कोई काम नहीं क्या मेरे शिवाय कोई इनको पसंद नहीं है.! अरे छोड़ भी दो मुझे कभी कभी अकेले तो हूँ ही, इसका कोई मतलब नहीं जब जी करें चले आओ.! कभी कभी उस तरफ़ भी घूम आओ क्या उधर भीड़ है, भीड़ से तुमको क्या हुआ, डर है.! कोई अकेले को ही तुम घेरे रहतीं हो, देख़ो यें ठीक नहीं.! पहले से अकेला, उसपर तुम्हारा आना इंसान को परेशां करता है.! तुम्हें नहीं लगता तुम ठीक नहीं करतीं इन यादों के आने का कोई पहर नहीं है, ठहर जा उस तरफ़ तु मैं ही सिर्फ तुम्हारा घर नहीं.!! ©Shreyansh Gaurav #यादों का सफ़र #poatry #panktiyaan