थोड़ा भी आराम नहीं आँखे भरी उजास ख़ास तो क्यों रहूं मैं निराश, आशीष है उजालों का ममता माँ की आस-पास, जब तक जगह सजा ना लूँ रुकना मेरा काम नहीं, थोड़ा भी आराम नहीं ! धमनियाँ प्रबल पाक साफ़ क्यों करूँ रक्त को उदास, वरदान है अनुभवों का सिख पिता की करे प्रकाश, जब तक जीवन बना ना लूँ दिन का अंत भी शाम नहीं, थोड़ा भी आराम नहीं ! मन के भाव उमड़े साच क्यों तोड़दूँ अहसास, नेह है चाँद तारों का ह्रदय में कुटुंब का वास, जब तक प्यार लुटा ना दूँ विचारों को विराम नहीं, थोड़ा भी आराम नहीं ! तन लेता शक्ति से स्वास क्यों बिखेरू जग की आस, कवच लक्ष्मी शारदा का नित उगाता मुझमें विश्वास, जब तक कविता रचा ना लूँ तूलिका को विश्राम नहीं, थोड़ा भी आराम नहीं ! डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' ©Anand Dadhich #motivatation #Inspiration #प्रेरणा #विश्वास #kaviananddadhich #poetananddadhich #HindiPoems