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Shree madbhagwad Geeta~#०3 जिनसे धनुष चलाना सीखा,

Shree madbhagwad Geeta~#०3

जिनसे धनुष चलाना सीखा,
उन पर बाण मेरा छूटेगा कैसे!
हैं परम पूज्य आचार्य द्रोण ये;
इन पर अर्जुन टूटेगा कैसे!!

इन्हीं करों ने बचपन में ,
इन सबके चरण दबाए हैं!
हम पांच भाई बचपन में;
ताऊ के खेले दाएं बाए हैं!!

माना कि हैं अधर्मी थोड़े, पर हैं तो भाई ये जैसे भी!
हैं थोड़े से नालायक, पर हैं तो ताऊ के बेटे ही!!

संन्यासी हो जाऊंगा मैं....
मुझे धन संपत्ति से प्यार नहीं!

है माधव....

इस रणभूमि में अपनों को मारकर,
मुझे राज्यपाट स्वीकार नहीं!!

Keshav पाठक 🙏
जय श्री कृष्ण🙌

to be continue........

©कवि की कल्पना ✍️ Shree madbhagwadgeeta~#०3 
#KaviKiKalpana
Shree madbhagwad Geeta~#०3

जिनसे धनुष चलाना सीखा,
उन पर बाण मेरा छूटेगा कैसे!
हैं परम पूज्य आचार्य द्रोण ये;
इन पर अर्जुन टूटेगा कैसे!!

इन्हीं करों ने बचपन में ,
इन सबके चरण दबाए हैं!
हम पांच भाई बचपन में;
ताऊ के खेले दाएं बाए हैं!!

माना कि हैं अधर्मी थोड़े, पर हैं तो भाई ये जैसे भी!
हैं थोड़े से नालायक, पर हैं तो ताऊ के बेटे ही!!

संन्यासी हो जाऊंगा मैं....
मुझे धन संपत्ति से प्यार नहीं!

है माधव....

इस रणभूमि में अपनों को मारकर,
मुझे राज्यपाट स्वीकार नहीं!!

Keshav पाठक 🙏
जय श्री कृष्ण🙌

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©कवि की कल्पना ✍️ Shree madbhagwadgeeta~#०3 
#KaviKiKalpana