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प्रेम की बौछार जिसदिन पूरी कायनात पर पड़ेगी तब एक न

प्रेम की बौछार जिसदिन पूरी कायनात पर पड़ेगी
तब एक नितांत  छोटी सी खूबसूरत बसती मे ये दुनिया सिमट  जायेगी
न होगी फिर कोई झंझट सरहदों और सिमाओं की
और न होगा खर्च  इन सीमाओं के सुरक्षा कबच की. 
बस एक  मासूम  सी मुहब्बत  सुख के हिंडोळे मे झूलती हुई
दिखाई पड़ेगी
हर धड़कन  सीने मे  कस्तूरी की लहल्हाती फसल उगाने
मे लगी रहेगी
और उस कस्तूरी की महक. सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के सभी कोनो को 
संक्रमित  करती रहेगी 
पर ये सब तभी होगा ज़ब पूरी  दुनिया  सरहदों से  आजाद
होकर वासुदेव कुटुंबक्म बनेगी

©Parasram Arora , "वासुदेव कुटुंमबकम "
प्रेम की बौछार जिसदिन पूरी कायनात पर पड़ेगी
तब एक नितांत  छोटी सी खूबसूरत बसती मे ये दुनिया सिमट  जायेगी
न होगी फिर कोई झंझट सरहदों और सिमाओं की
और न होगा खर्च  इन सीमाओं के सुरक्षा कबच की. 
बस एक  मासूम  सी मुहब्बत  सुख के हिंडोळे मे झूलती हुई
दिखाई पड़ेगी
हर धड़कन  सीने मे  कस्तूरी की लहल्हाती फसल उगाने
मे लगी रहेगी
और उस कस्तूरी की महक. सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के सभी कोनो को 
संक्रमित  करती रहेगी 
पर ये सब तभी होगा ज़ब पूरी  दुनिया  सरहदों से  आजाद
होकर वासुदेव कुटुंबक्म बनेगी

©Parasram Arora , "वासुदेव कुटुंमबकम "

, "वासुदेव कुटुंमबकम " #कविता