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आज दीपावली मनाते हैं (अनुर्शीषक में पढ़ें) दीपाव

आज दीपावली मनाते हैं

 (अनुर्शीषक में पढ़ें) दीपावली  है   दीपों   का  त्यौहार,
मगर  हर  मन में अन्धेरा क्यों  है?
दीप   जले   हैं   घर   आंगन   में,
फिर  भी  उजाला  क्यों  नहीं   है?

कैंसी  है  ये  अंधी   दौड़  पैरों  की,
जो  गाँव  छोड़   शहरों   की  ओर,
घरों   में   ये  रोशनी  कैंसी  ही   है,
आज दीपावली मनाते हैं

 (अनुर्शीषक में पढ़ें) दीपावली  है   दीपों   का  त्यौहार,
मगर  हर  मन में अन्धेरा क्यों  है?
दीप   जले   हैं   घर   आंगन   में,
फिर  भी  उजाला  क्यों  नहीं   है?

कैंसी  है  ये  अंधी   दौड़  पैरों  की,
जो  गाँव  छोड़   शहरों   की  ओर,
घरों   में   ये  रोशनी  कैंसी  ही   है,
juhigrover8717

Juhi Grover

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