गीत- मेरे वालिद-ए-मोहतरम ओ मेरे वालिद-ए-मोहतरम ओ मेरे वालिद-ए-मोहतरम जिसने हमको तलक़ीन दीं हम पर रहा है उनका करम। ओ मेरे वालिद-ए-मोहतरम ओ मेरे वालिद-ए-मोहतरम। जिस ने दिखाईं अच्छी राह हैं मेरे वालिद अज़ीमुश्शान पढा लिखा कर तो वह हमें बनाया इक़ अज़ीम इन्सान शामो - सहर मशक़्क़त कीं कभी नहीं कीं खुद पे शरम। ओ मेरे वालिद-ए-मोहतरम ओ मेरे वालिद-ए-मोहतरम। वालिदा ने ही हम को जना वालिद का साया हमपे रहा वालिदा हमको दूध पिलायी वालिद का पयार हमपे रहा कैसे भूल जाऊँ वालिद को ये कभी नहीं मैं पालूँ भरम। ओ मेरे वालिद-ए-मोहतरम ओ मेरे वालिद-ए-मोहतरम। जब मैं चलने को माजूर था वह हमको चलना सिखाया जब बोलना नहीं आता था तो बोलना भी वह सिखाया वालिद हमेशा सलामत रहे खुदा वालिद पे करना करम। ओ मेरे वालिद-ए-मोहतरम ओ मेरे वालिद-ए-मोहतरम। मो- ज़मील अंधराठाढ़ी, मधुबनी (बिहार) मौलिक, स्वरचित अप्रकाशित गीत मो- 9065328412 पिन कोड- 847401 ©Jamil Khan पिताजी पर गीत #Trees