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VULTURE Media कौन सा (मिडिया) गिद्द सेलेक्टिव नहीं

VULTURE Media
कौन सा (मिडिया) गिद्द सेलेक्टिव नहीं होता। कौन सा गिद्ध अपनी टीआरपी नहीं देखता है।वो सिक्का तो खोटा है जिसका एक ही पहलू होता है‌।  आजकल जो ये मज़दूर प्रकरण है एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश का इसमें वो सब भी सम्मिलित हो ग्ए हैं जो नहीं होने चाहिए। जैसे आंकड़ा अभी देखो तो दूसरी बिमारियों से लोग ज्यादा मर रहे है़‌। 
एक किस्सा सुनाता हूं। बिल्कुल सघ्चा है।
1980 की बात है एक चपरासी था उसे स्वतन्त्रता सेनानी की पेंशन भी मिलती थी। वो वैसे था एक नम्बर का जुआरी शराबी। उससे पूछा कि तुझे ये पेंशन कैसे मिली तुझमें तो कोई ऐसी बात दिखाई नहीं देती‌। वो हंसने लगा बोला किसी को बताना मत क्योंकि तुम इसे साबित भी नहीं कर पर पाओगे। सत्यम कुछ और है पर है ये फ्री की पेंशन। फिर सुनाने लगा,,,,
हुआ यूं कि हम एक छत पर जुआ खेल रहे थे। कि तभी किसी ने कहा पुलिस का छापा पड़ा है। हम पहली मंजिल से कूदे और आगे एक जुलूस जा रहा था उसमें शामिल हो गए ‌। बाद में उनके साथ हमें भी पकड़ लिया गया।थाने में नाम चढ़ गया। जेल हो गई। कुछ सालों बाद सरकार बनी तो घोषित किया गया की जो जो व्यक्ति उस स्वतन्त्रता के प्रदर्शन में शामिल था उन्हें पेंशन दी जाए। तो भाई बहती गंगा में हमने भी हाथ धो लिए।
अब इस पलायन के सैलाब में वो सब भी शामिल हैं जो उस भीड़ में तो हैं पर वास्तव में उसका हिस्सा नहीं है। अब कैसे साबित करोगे? कुछ भी पेले जाओ।ये पालघर की हकीकत क्या है। मैजोरिटी तय करेगी या न्याय। #lockdown3 #vulturemedia #storyOnlibe
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कौन सा (मिडिया) गिद्द सेलेक्टिव नहीं होता। कौन सा गिद्ध अपनी टीआरपी नहीं देखता है।वो सिक्का तो खोटा है जिसका एक ही पहलू होता है‌।  आजकल जो ये मज़दूर प्रकरण है एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश का इसमें वो सब भी सम्मिलित हो ग्ए हैं जो नहीं होने चाहिए। जैसे आंकड़ा अभी देखो तो दूसरी बिमारियों से लोग ज्यादा मर रहे है़‌। 
एक किस्सा सुनाता हूं। बिल्कुल सघ्चा है।
1980 की बात है एक चपरासी था उसे स्वतन्त्रता सेनानी की पेंशन भी मिलती थी। वो वैसे था एक नम्बर का जुआरी शराबी। उससे पूछा कि तुझे ये पेंशन कैसे मिली तुझमें तो कोई ऐसी बात दिखाई नहीं देती‌। वो हंसने लगा बोला किसी को बताना मत क्योंकि तुम इसे साबित भी नहीं कर पर पाओगे। सत्यम कुछ और है पर है ये फ्री की पेंशन। फिर सुनाने लगा,,,,
हुआ यूं कि हम एक छत पर जुआ खेल रहे थे। कि तभी किसी ने कहा पुलिस का छापा पड़ा है। हम पहली मंजिल से कूदे और आगे एक जुलूस जा रहा था उसमें शामिल हो गए ‌। बाद में उनके साथ हमें भी पकड़ लिया गया।थाने में नाम चढ़ गया। जेल हो गई। कुछ सालों बाद सरकार बनी तो घोषित किया गया की जो जो व्यक्ति उस स्वतन्त्रता के प्रदर्शन में शामिल था उन्हें पेंशन दी जाए। तो भाई बहती गंगा में हमने भी हाथ धो लिए।
अब इस पलायन के सैलाब में वो सब भी शामिल हैं जो उस भीड़ में तो हैं पर वास्तव में उसका हिस्सा नहीं है। अब कैसे साबित करोगे? कुछ भी पेले जाओ।ये पालघर की हकीकत क्या है। मैजोरिटी तय करेगी या न्याय। #lockdown3 #vulturemedia #storyOnlibe