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इस झूठी दुनियां की झूठे रिश्तों का क़दर कोन करे। न

इस झूठी दुनियां की झूठे रिश्तों का क़दर कोन करे।
ना हो मंजिल ऐसे रस्तों का सफ़र कोन करे।

नज़र आती हे बुराईयां सिर्फ दूसरे के यहां।
अपने आमाल की तख्ति पे नज़र कोन करे।

©nuruddin Dilwar
  mashroor lafz

mashroor lafz #Shayari

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