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उस घाव को कोई देख ही ना पाया, कोई मरहम लगाता भी तो

उस घाव को कोई देख ही ना पाया,
कोई मरहम लगाता भी तो, लगाता कैसे....
झूझता रहा वो सबसे दूर, तन्हा रहकर,
कोई पास आता भी तो, आता कैसे....
दर्द ही उसका संगी साथी था बन गया,
वो उस से छूट पाता भी तो, छूट पाता कैसे....
उस घाव को कोई देख ही ना पाया,
कोई मरहम लगाता भी तो, लगाता कैसे....

©Ruchika
  #marham