महबूब की दास्ताँ हमसे सुनाई नहीं जायेगी, दर्द की आँधी फिर हमसे सही नहीं जायेगी। रह-रह कर सारी बातें फिर दिल को चुभेंगी, यादों की बाढ़ फिर हमसे देखी नहीं जायेगी। ♥️ Challenge-514 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ इस विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।