Nojoto: Largest Storytelling Platform

मंजिल की तलाश थी और सफर भी अकेला, आगे किस्मत खड़ी थ

मंजिल की तलाश थी
और सफर भी अकेला,
आगे किस्मत खड़ी थी
पीछे दुनिया का मेला।



पास जाने पर बड़ी आफत है,
माना कि हंसी नजारा है,
चलो दूर से ही देख लेते है ‘मेला’
पैसों का ये खेल सारा है।

©Saurabh Kumar
  mela shayri

mela shayri #शायरी

7,302 Views