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अल्हड़ सी कली इतरा रही है नाजो में पली इठला रही है

अल्हड़ सी कली
इतरा रही है
नाजो में पली
इठला रही है
हवा ज़रा धीरे बहो
फ़िज़ा सुरीले गीत छेड़ो
बचपन को इतराने दो
बचपन को इठलाने दो
कल जवानी आयेगी
शर्माते हुए 
पियु संग परदेस चली जायेगी.

©Manisha Keshav
  ##इतराने दो ##

#इतराने दो ##

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