आज इंसाफ़ या हक़ की आवाज़ उठाने वालों में दो तरह के लोग हैं:-- 1- जिनके मुँह खुले हुए हैं पर आंखें बंद हैं। 2-जिनकी आंखें खुली हैं पर मुँह बंद है!! इसीलिए भरोसा रक्खें इस हाल में कुछ बेहतर बदलने वाला नहीं है। ((आदर्श)) ©Adarsh Dwivedi #protect #हक़ #इंसाफ़ #यलगार