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गुजरता हूं जब कभी उसकी गली से, अब उसकी खिड़की पर न

गुजरता हूं जब कभी
उसकी गली से,
अब उसकी खिड़की पर
निगाहें गड़ाना छोड़ दिया ।

बहुत ही मगरुर था 
कभी वो अपने इश्क पर
अब मैंने भी अपने इश्क पर
इतराना छोड़ दिया ।

©BS NEGI अब इतराना छोड़ दिया
गुजरता हूं जब कभी
उसकी गली से,
अब उसकी खिड़की पर
निगाहें गड़ाना छोड़ दिया ।

बहुत ही मगरुर था 
कभी वो अपने इश्क पर
अब मैंने भी अपने इश्क पर
इतराना छोड़ दिया ।

©BS NEGI अब इतराना छोड़ दिया
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BS NEGI

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अब इतराना छोड़ दिया #शायरी