गुजरता हूं जब कभी उसकी गली से, अब उसकी खिड़की पर निगाहें गड़ाना छोड़ दिया । बहुत ही मगरुर था कभी वो अपने इश्क पर अब मैंने भी अपने इश्क पर इतराना छोड़ दिया । ©BS NEGI अब इतराना छोड़ दिया