इक वो शख्स जो कासिद के आने से पहले लिख देता था खत, खत के जवाब में,(गालिब) और इक ये है कि जिसे कहा ज़िन्दगी गुज़ार दिजीए, ज़िन्दगी गुज़ार दी गई।(जौन एलिया) हद पार करने के बाद कसर के मुंह से एक बात निकली कि "यार अब हद हो गई।"