कान्हॉं को खेलनी थी होली। बनाई उसने रंगों की अजब टोली। राधा की मुस्कान से ले लाली। लाल अबीर की अरुणिम रचना कर डाली। किया बृजमंडल बस में, बजा बांसुरिया। घोल दिया रंग अम्बर पे केसरिया । करा व्याप्त आनंद उमंग चहुंओर। ले हरियाली से रंग सोम्य हरा। जब लगाया राधा के गालों पर रंग गुलाबी। झूम उठी प्रेम रस में सराबोर राधा मतवाली। कुछ सकुचाती लजाती कुमुदिनी कान्हाँ से बोली। सांवरे चढ़ा तेरा रंग, होली आज मेरी शुभ होली। स्वरचित होली के पावन पर्व पर अनंत शुभकामनाएं। ©RACHIT KAPOOR स्वरचित #शुभ_होली #holi2021