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rachitkapoor6548
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RACHIT KAPOOR स्वरचित

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RACHIT KAPOOR स्वरचित

क्या तुमने कभी सोचा...
कि तुमसे दूर हो मेरी,  तन्हाई क्यूँ बढ़ जाती है..
क्या तुमने कभी सोचा …
की रात को मेरे ख्वाब क्यूं तुमसे ही रोशन हैं..
कभी सोच के देखना, ऐ हमदम मेरे..
क्यूं तुम पास होती हो तो धड़कन मेरी, बढ़ जाती है..
मैंने सोचा था एक बार के मैं क्यों ऐसा मेहसूस करता हूँ.
क्यू ख़्यालों में मैं तेरे खोया ही रहता हूँ...
क्यूँ तुम ख़ास हो मेरी हर साँस में ये कहता हूँ..
जवाब मेरे दिल ने बस इतना ही दिया था मुझे..
मोहब्बत है हमें तुमसे, 
इसलिए तुमको देख लबों पे मुस्कान खिल जाती है …

©RACHIT KAPOOR स्वरचित #AWritersStory
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RACHIT KAPOOR स्वरचित

#AzaadKalakaar 
ये देश भूल जाता है,
शहीदों की शहादत को।
ये देश भूल जाता है,
नेताओं की गलत आदत को।
न याद रखा, सुभाष के जज़्बे  को।
न याद किया, आज़ाद के हौसले को।
बस याद रखा अपना आज और, 
भुला दिया भगत सिंह के आदर्शों को। 
भूल जाते हैं क्यों आज़ादी चाही, 
क्या उम्मीद थी शहीदों की इस आज़ादी से। 
अपने आज के थोड़े लालच की ख़ातिर, 
भुला दिया देश बेचने वालों ने,
 देश की रक्षा करने वालों को।
रचित कपूर-स्वरचित

©RACHIT KAPOOR स्वरचित #AzaadKalakaar
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RACHIT KAPOOR स्वरचित

जिंदगी ने  कुछ यूं दर्द दिए हमको ।
कि हमदर्द भी मिला तो दर्द दे गया ।
जिनसे की उम्मीद हमने,  बस साथ निभाने की ।
वो ही तन्हाई सौगात में,  बेदर्द दे गया ।

©RACHIT KAPOOR स्वरचित #OneSeason
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RACHIT KAPOOR स्वरचित

सम्मान हमेशा  
मेरे अल्फाज़ों को नया पैगाम देती है तू।
मेरी धड़कनों में संगीत भर देती है तू।
आती हो इस अदा से मेरी ज़िंदगी में रंग भरने।
मेरी कविता के मायनों को नये आयाम देती है तू।

©RACHIT KAPOOR स्वरचित
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RACHIT KAPOOR स्वरचित

Everyone is running behind their dreams,
Everyone tries to chase their dreams,

Everyone is...
The happiness of all desire of everyone,
To colour their life,with shades of dreams,

Everyone is..
Power to live strength to move,
Dreams are propelling human to groom,
People runs to achieve their goals,
Goals are derived from their dreams,
Everyone is...

©RACHIT KAPOOR स्वरचित #Morning
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RACHIT KAPOOR स्वरचित

ठहरा पानी जज्बातों के ठहराव की निशानी है ।
वरना, बहते अश्क जज्बात बहा ले जाते हैं।
रचित कपूर- स्वरचित

©RACHIT KAPOOR स्वरचित #standAlone
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RACHIT KAPOOR स्वरचित

कभी तो अपने आप से पर्दा करो साकी।
पर्दानशीनो के शहर में हर शख्स बेपर्दा नज़र आता है।

©RACHIT KAPOOR स्वरचित #sunkissed
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RACHIT KAPOOR स्वरचित

एक कप चाय मिल जाए तो बात बन जाए। 
एक छोटी सी चर्चा, अपनों के संग हो जाए।
कुछ खट्टी कुछ मीठी बातें मैं भी बना लूँ। 
खुशियों भरे यादगार पल, जीवन के पन्नो में जुड़ जाऐं। 

स्वरचित

©RACHIT KAPOOR स्वरचित #Chaii
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RACHIT KAPOOR स्वरचित

कान्हॉं को खेलनी थी होली।
बनाई उसने रंगों की अजब टोली।
राधा की मुस्कान से ले लाली।
लाल अबीर की अरुणिम रचना कर डाली।
किया बृजमंडल बस में, बजा बांसुरिया।
घोल दिया रंग अम्बर पे केसरिया ।
करा व्याप्त आनंद उमंग चहुंओर।
ले हरियाली से रंग सोम्य हरा।
जब लगाया राधा के गालों पर रंग गुलाबी।
झूम उठी प्रेम रस में सराबोर राधा मतवाली।
कुछ सकुचाती लजाती कुमुदिनी कान्हाँ से बोली।
सांवरे चढ़ा तेरा रंग, होली आज मेरी शुभ होली।
स्वरचित
होली के पावन पर्व पर अनंत शुभकामनाएं।

©RACHIT KAPOOR स्वरचित #शुभ_होली 
#holi2021
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RACHIT KAPOOR स्वरचित

एक जूते की व्यथा.....
हे मानव तुम क्यों ये चलन चलाते हो।
रोष में तुम अपने, क्यूँ बेज्जती मेरी कराते हो।
मैं तो तुम्हारा सह-चर हूं, कंकड़-पत्थर से बचाता हूं।
फिर क्यूँ नेताओं पर फेंक मुझे, और गंदा बनाते हो।
हे मानव तुम क्यों ये चलन चलाते हो।
मेरी तो बस यही अभिलाषा, कि काम सदैव तुम्हारे आऊँ।
हर पल हर छण तुम्हारे पांव गंदगी से बचाऊँ।
फिर क्यूँ मुझे अपने से दूर किए जाते हो।
भ्रष्ट नेताओं मंत्रियों की मुझसे क्यूँ आरती उतरवाते हो।
हे मानव तुम क्यों ये चलन चलाते हो।
मुझे न लेना देना राजनीति से।
मुझे न कोई प्रचार की ख़्वाहिश।
फिर क्यूँ नेताओं पर मुझ गरीब को उछाले जाते हो।
मुझे बदनाम कर उन नेताओं को मुफ्त प्रचार दिऐ जाते हो ।
हे मानव तुम क्यों ये चलन चलाते हो।
स्वरचित

©RACHIT KAPOOR स्वरचित #steps
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