इंतज़ार की तलब मिटी है अब इज़हार की तलब इंकार की दीवार गिरा बढ़ा इकरार की तलब..! परछाइयों सा रह तू मुझमें मिटा तिरी दीदार की तलब मुझमें सोये मुझमें जागे नर्गिस-ए-बीमार की तलब..! सुकून 'कुमार' का है तुझसे नहीं अब संसार की तलब ख़्याल, ख़्वाहिश, ख़्वाब सब तू ही दिलदार की तलब..! एक रूहानी मोहब्बत, जब आप किसी से बहुत time से मिलना चाह रहे हो और ना मिल पाए तो उस time दिल क्या चाहता है वही लिखने की कोशिश..! #paidstory #kumaarsthought #kumaaronlove #kumaarromance #एहसासऔरतुम #शायरानाइंतजार नर्गिस ए बीमार - Beautiful Eyes