मैं निश्छल निमित्त सा राही तू सारे जहाँ की रत्नम-साथी मैं उन्मुक्त पर्वत का वासी तू अमिट अटल सबकी जननी।।। मैं मिथक-मिथ्या चिरंजीवी तू पुराणों की सजी-संजीवनी मैं गर्जना एकदिन एकपल का तू उदघोष सम्पूर्ण जीवन की।।। मैं एक मिटता किनारा तू अविरल सागर अनंत की मैं एक कण दुलारा तू ममता की अंतिम ढैय्या।।। मैं एक तरण शीतल बूँद तू हँसती फूलों की बगिया मैं अर्पित तेरे हर मन का बालक तू प्रकृति मेरे हर जन्म की मैय्या।।। #मैऔरतू(3) #naturediariesbyarpit #love#nature#mother #yqdidi#yqbaba #mothertongue_verse