मैं चुप हूँ ताकि सही से सुन सकूँ, हर बार शोर नहीं होता, कई बार सन्नाटे में भी स्पष्ट सुनाई नहीं देता। तेज हवा के साथ उड़ता, न ठहरने वाला मन, जिसे चलते रहना है, कहीं भी, कभी भी, दिशाहीन, जाना कहाँ है पता नहीं, बस बिना रूके चलते रहना है। काली घटाओं - सा भरा हुआ आकुल मन, जो बहुत कुछ ढो रहा है, न बरसता है, न ढोना ही छोड़ता है।