मेरे राम पुनः आ जाओ , सजा अवध है आज । आज पुनः स्थापित तुम कर दो , जग में अपना राज ।। मेरे राम पुनः आ जाओ .... हम सब बालक है रघुनंदन , करो भूल सब माफ । हुई गलतियाँ हैं हम सबसे , लेकिन दिल से साफ ।। आज तुम्हारे स्वागत में हम , मिलकर छेड़े साज । मेरे राम पुन: आ जाओ .... घेर रहा है माया रूपी , मानव को अब काल । फेंक रहें हैं अजब-गजब से ,निर्धन पे वह जाल ।। आकर उन्हें बचाओ रघुवर , रखकर सिर पर ताज । मेरे राम पुनः आ जाओ .... आज तुम्हारे दर्शन करके , सफल हुआ अवतार । राम-राम जपने से ही यह , स्वप्न हुआ साकार ।। आकर अवध विराजो तुम ही , करे सनातन नाज । मेरे राम पुनः आ जाओ .... मेरे राम पुनः आ जाओ , सजा अवध है आज । आज पुनः स्थापित तुम कर दो , जग में अपना राज ।। १६/०१/२०२४ / महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मेरे राम पुनः आ जाओ , सजा अवध है आज । आज पुनः स्थापित तुम कर दो , जग में अपना राज ।। मेरे राम पुनः आ जाओ .... हम सब बालक है रघुनंदन , करो भूल सब माफ ।