White ये रस्म जन्म मृत्यु की हर हाल में निभाना है याद रखना आज मुझे तो कल तुम्हें जाना है मेरी जिंदगी रहम-ओ-करम की मोहताज़ नहीं मेरे पास मेरी माँ की दुआओं का खजाना है न दे जिंदगी सौ बरस उम्र मुझे जीने को ए ख़ुदा दिन चार भी दे पर सुकूँ से बिताना है वक़्त बेवक़्त मेरी ज़र जमीं काम न आयेगी जो दिलों में जगह रही तो सबको आना है कुछ हुनर बड़ी मशक्क़त से कमाये हैं मैंने ए कद्रदानों आओ तुम्हें करिश्मा दिखाना है मैंने हुस्न तुम्हारा लिखा है अपनी ग़ज़ल में चिरैया आओ तो मेरे अँगना तुम्हें सुनाना है जिस तरह आया उसी तरह जाना है मुझे चंद रोज बाद क्या नाम तक रह जाना है ©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #कच्ची ग़ज़ल