रोज़ लिखकर सोता हूँ कि कल तू आएगी मेरे घर मे फिर से बन रोशनी आएगी रोज़ पढ़ती है दिल मेरा कब जज़्बात पढ़ेगी मैं भी थोड़ा गुरुर में हूँ कब तू मगरूर आएगी रोज़ लिखकर सोता हूँ कि कल तू आएगी मगरूर आएगी