बहुत हुआ है घोर अनर्थ, अब बोल उठी वसुंधरा। देख आँखे भयभीत हुई, अंतर्मन भी पूछ पड़ा। वेद, पुराण व ग्रंथ सभी, नारी की शक्ति दोहराते। लड़के को गोदी में रख कर, क्यों लड़की को हो ठुकराते। कोख में कन्या आ जाए, तो तुम भ्रुण हत्या करवाते। पैदा हो जाए तो कूड़े का डब्बा या कुत्तों के मुंह नोचवाते। कुछ पैसों के प्रलोभी, दहेज़ प्रथा भी अपनाते। चंद चांदी के सिक्कों का ज़रिया या सीढ़ी वो इसे बनाते। कुछ लोभी ऐसे हैं जो कि, घर में भी हैं इन्हे सताते। बापु से पैसे जो ना मांगे, आग या फांसी के भेंट चढाते। कुछ तो बनते बहुत पुजारी, माताओं को पुष्प चढ़ाते। लड़के को शिक्षा देते हैं, नारी को जैसे तुच्छ जताते। शिक्षा जो नारी को भी देते, जग में ऊंचा नाम कमाती। लड़का तो बस एक, लड़की दो घर शिक्षित कर जाती। नारी है सरीता शीतल सी, इनको कल - कल बहने दो। आदिशक्ति को मत ललकारो, इनको नारी ही रहने दो। आशुतोष मिश्रा #respect_her