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मुझे कुछ और ग़म भी देखने हैं। तुम्हारे ग़म से कब फुर

मुझे कुछ और ग़म भी देखने हैं।
तुम्हारे ग़म से कब फुरसत मिलेगी,
में उसकी इस दुआ से डर गया हूँ;
के तुमको मुझसे भी अच्छी मिलेगी।।

मुझे कुछ और ग़म भी देखने हैं। तुम्हारे ग़म से कब फुरसत मिलेगी, में उसकी इस दुआ से डर गया हूँ; के तुमको मुझसे भी अच्छी मिलेगी।। #शायरी

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