Nojoto: Largest Storytelling Platform

ए बचपन मैं तुझसे माफ़ी चाहता हूँ बचपना छोड़कर अब मैं

ए बचपन मैं तुझसे माफ़ी चाहता हूँ
बचपना छोड़कर अब मैं कमाता हूँ।
दिन भर जूठा बर्तन धोने के बाद
शाम को फिर घर लौट जाता हूँ।

ए बचपन मैं तुझसे माफ़ी चाहता हूँ 

बचे खाने को लेकर घर आता हूँ।
अपनी बीमार माँ को खिलाता हूँ।
कहीं बारिश से भीग न जाए माँ,
आसमां देख मैं डरकर सोता हूँ।।

ए बचपन मैं तुझसे माफ़ी चाहता हूँ।

नल से टपकती बूंद को
 बारिश की बूंद समझकर भीग जाता हूँ।
इन बर्तनों को कागज़ की नाव समझकर
 टब में तैराता हूँ।

ए बचपन मैं तुझसे माफ़ी चाहता हूँ। 

थाली को हाथों से पीटकर निकले 
उस आवाज़ को सीटि समझता हूँ।

ए बचपन मैं  तुझसे माफ़ी चाहता हूँ।

मिट्टी के खिलौने टूटने पर माँ डांटती थी 
हाथों से बर्तन छूटने पर मालिक से डाँट खाता हूँ।
कुछ इस तरह यूँ ही गुजर रही है जिंदगी
आँखों में अश्क़ और बदन पर पसीना रखता हूँ

ए बचपन मैं तुझसे माफ़ी चाहता हूँ।
ए बचपन मैं तुझसे माफ़ी चाहता हूँ।

 *

# *world day against child labour

©पूर्वार्थ #antichildlabourday
ए बचपन मैं तुझसे माफ़ी चाहता हूँ
बचपना छोड़कर अब मैं कमाता हूँ।
दिन भर जूठा बर्तन धोने के बाद
शाम को फिर घर लौट जाता हूँ।

ए बचपन मैं तुझसे माफ़ी चाहता हूँ 

बचे खाने को लेकर घर आता हूँ।
अपनी बीमार माँ को खिलाता हूँ।
कहीं बारिश से भीग न जाए माँ,
आसमां देख मैं डरकर सोता हूँ।।

ए बचपन मैं तुझसे माफ़ी चाहता हूँ।

नल से टपकती बूंद को
 बारिश की बूंद समझकर भीग जाता हूँ।
इन बर्तनों को कागज़ की नाव समझकर
 टब में तैराता हूँ।

ए बचपन मैं तुझसे माफ़ी चाहता हूँ। 

थाली को हाथों से पीटकर निकले 
उस आवाज़ को सीटि समझता हूँ।

ए बचपन मैं  तुझसे माफ़ी चाहता हूँ।

मिट्टी के खिलौने टूटने पर माँ डांटती थी 
हाथों से बर्तन छूटने पर मालिक से डाँट खाता हूँ।
कुछ इस तरह यूँ ही गुजर रही है जिंदगी
आँखों में अश्क़ और बदन पर पसीना रखता हूँ

ए बचपन मैं तुझसे माफ़ी चाहता हूँ।
ए बचपन मैं तुझसे माफ़ी चाहता हूँ।

 *

# *world day against child labour

©पूर्वार्थ #antichildlabourday