ये आनंददायी अवसर था मेरे लिए क्योंकि यहां मैं खिल सकता हूं पूरी तरह अपने लिए हाँ विचलित कर सकती थीं काँटों की परिधि और स्पर्धाओं क़े दबाव भी गुमराह कर सकते थे मुझे हमेशा क़े लिए किन्तु थीं वहा सत्य और सब्र की चिंगारिया अस्तित्व मे मेरे लिए और ये थीं उस अर्थहीन आनंद की बेहद नाजुक घड़ी यहां शून्य का मुक्ति सागर स्वछंद भाव से लहरा रहा था मेरे लिए आज पहली बार चूमा था सूरज नेमेरा नग्न चेहरा एक आनंद की उर्मि उठी थीं आज गगन की विस्तीर्णंता नापने क़े लिए और झंझावत क़े अशांत क्षेत्र भी आज निसतेज़ होने लगे है मेरे लिए ©Parasram Arora मेरे लिए.....