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सोचता हू बुत हो जाऊ ,क्योँकी वो रोते नहीं सपनो स

सोचता हू बुत हो जाऊ ,क्योँकी वो रोते नहीं 
 सपनो से सारोकार नहीं  उनका ,क्योंकी वो सोते नहीं

बुत का कोई तेरा -मेरा नहीं ,उनका कोई डेरा नहीं 
ठौर बदलते नहीं ,नतीजन वो कभी खोते नहीं 
सोचता हू बुत हो जाऊ ,क्योँकी वो रोते नहीं 

हर वाकये का चश्मदीद है बुत ,पर गवाह नहीं 
बेजुबान है बुत ,दें  सकता कोई सलाह नहीं 
यह बेजुबानी अच्छी उनकी ,क्योंकी वो नफरत बोते नहीं 
सोचता हू बुत हो जाऊ ,क्योँकी वो रोते नहीं

©Kamlesh Kandpal
  #BUT