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फुर्सत मिले कभी तो, आके बैठना उस खाली कुर्सी पे

फुर्सत मिले कभी तो,   आके बैठना उस खाली कुर्सी पे जो तुम उस दिन मेरी कहानी सुनते सुनते अचानक ही उस कुर्सी से उठ के चली गई थी, और उस अंधेरे कमरे में मुझे अकेला छोड़ गई थी। और सुनना उस अधूरी कहानी को जो तुम्हारे जाने के बाद से बस वहीं रुकी है। तुम्हारा जाना उस दिन बहुत खला था मुझे, इस बात की शिकायत मैने कभी तुमसे नहीं की, कोशिश किया था बहुत बार की शिकायत करू तुमसे और बताऊं कि तुमने वो बहुत ग़लत करा था उस दिन, फिर ख्याल आया अटक तो बार बार मै रहा था फिर ग़लत तुम कैसे हुई? और फिर इस सवाल का जवाब मिलने तक तुमपे इल्ज़ाम लगाने की टसक को ही टाल दिया था। वैसे उस दिन तुमने ही तो ज़िद की थी ना कहानी सुनने की और मैने कहा था तुमसे की मुझे अभी कोई कहानी सुनानी नहीं आती फिर भी तुम्हारे कहने पे मैंने कोशिश तो की थी, लेकिन जब बीच में मै अटका था तब तुम परेशान सी होकर वहां से उठ कर चली गई थी। शायद तुम्हें नहीं पता हो लेकिन उस दिन वो कहानी मै वहीं तुम्हारे सामने ही बैठ के बुन रहा था इसलिए बार बार अटक रहा था। उस कमरे में उसी खाली कुर्सी पर बैठ कर उस कहानी को पूरा करने वाले किरदार तो बहुत आयें लेकिन नजाने वो कहानी कभी पूरी हो ही नहीं पाई, शायद उस कहानी को भी तुम्हारा ही इंतज़ार हैं, की एक दिन तुम आओगी और उस कहानी का अन्त बता कर उस कहानी को पूरी करोगी। #story #kahani #hindi #love #pyar
फुर्सत मिले कभी तो,   आके बैठना उस खाली कुर्सी पे जो तुम उस दिन मेरी कहानी सुनते सुनते अचानक ही उस कुर्सी से उठ के चली गई थी, और उस अंधेरे कमरे में मुझे अकेला छोड़ गई थी। और सुनना उस अधूरी कहानी को जो तुम्हारे जाने के बाद से बस वहीं रुकी है। तुम्हारा जाना उस दिन बहुत खला था मुझे, इस बात की शिकायत मैने कभी तुमसे नहीं की, कोशिश किया था बहुत बार की शिकायत करू तुमसे और बताऊं कि तुमने वो बहुत ग़लत करा था उस दिन, फिर ख्याल आया अटक तो बार बार मै रहा था फिर ग़लत तुम कैसे हुई? और फिर इस सवाल का जवाब मिलने तक तुमपे इल्ज़ाम लगाने की टसक को ही टाल दिया था। वैसे उस दिन तुमने ही तो ज़िद की थी ना कहानी सुनने की और मैने कहा था तुमसे की मुझे अभी कोई कहानी सुनानी नहीं आती फिर भी तुम्हारे कहने पे मैंने कोशिश तो की थी, लेकिन जब बीच में मै अटका था तब तुम परेशान सी होकर वहां से उठ कर चली गई थी। शायद तुम्हें नहीं पता हो लेकिन उस दिन वो कहानी मै वहीं तुम्हारे सामने ही बैठ के बुन रहा था इसलिए बार बार अटक रहा था। उस कमरे में उसी खाली कुर्सी पर बैठ कर उस कहानी को पूरा करने वाले किरदार तो बहुत आयें लेकिन नजाने वो कहानी कभी पूरी हो ही नहीं पाई, शायद उस कहानी को भी तुम्हारा ही इंतज़ार हैं, की एक दिन तुम आओगी और उस कहानी का अन्त बता कर उस कहानी को पूरी करोगी। #story #kahani #hindi #love #pyar
shubhamshah9203

Shubham Shah

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