खरे थे जो,अब वो हैं खोटे, खोटे सिक्के खरे हो गये हरे थे जो अब मुरझाये हैं, सूखे थे जो हरे हो गये मरे हुए थे जो ज़िन्दा हैं, ज़िन्दे अब,अधमरे हो गये बने हुए मसखरे हैं नायक, नायक अब मसखरे हो गये फिरे हुए सर,देख देखकर हम भी कुछ सरफिरे हो गये गिरे हुए को उठा सके ना, इतने तो सब गिरे हो गये मदद नहीं,मशविरे हैं मिलते, मदद भी अब,मशविरे हो गये बात बयां थी,दो लफ़्ज़ों में, बदले में तफ़्सरे हो गये ✍️✍️ रवि श्रीवास्तव ©Ravi Srivastava #Isolated