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पेज-14 कुछेक हास्यास्पद गुदगुदाती घटनाओं को कथाकार

पेज-14
कुछेक हास्यास्पद गुदगुदाती घटनाओं को कथाकार समयानुसार 
दिखाने सुनाने का अपना अधिकार सुरक्षित रखते हुये आपको 
सीधे जोड़ता है उस संयोग से जो मानक के परिवार और उसको
 दुलार देने वाली बहनों की दुआओं से प्रार्थनाओं से ईश्वर को 
विवश होकर निर्मित करना पड़ा.. एक तो रत्नाकर कालोनी में
 हर किसी को मानक की माँ की ख्वाहिश और उनकी फिक्र का 
इल्म हो चुका था, सो सभी अपने अपने स्तर से मानक के लिये
 सुयोग्य जीवनसाथी तलाशने में पूरी सिद्द्त से जुटे हुये थे..
 इसी दौरान एक दिन अचानक.. दोपहर को एक सज्जन का 
राकेश कुमार के पास कॉल आया... 
पढ़िए ये वार्तालाप.. 
📱-------------------------------------📱

Unknow- hello.... can I talk to mr. Rakesh kumar..? 

Rakesh - yes please.. speaking.. !

Unknow- ओह्ह.. ! जय सियाराम जी.. थैंक गॉड आपने फोन 
अटेंड कर लिया.. बहुत खुशी हुई आपसे बात हो रही है... !

राकेश-जी, श्रीमान आपने जय सियाराम कहा तो मुझे भी 
अपनत्व का भान हुआ.. कहिये जी मैं क्या सहायता कर 
सकता हूं आपकी.. !
आगे पेज-15

©R. Kumar #रत्नाकर कालोनी 
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कुछेक हास्यास्पद गुदगुदाती घटनाओं को कथाकार समयानुसार दिखाने सुनाने का अपना अधिकार सुरक्षित रखते हुये आपको सीधे जोड़ता है उस संयोग से जो मानक के परिवार और उसको दुलार देने वाली बहनों की दुआओं से प्रार्थनाओं से ईश्वर को विवश होकर निर्मित करना पड़ा.. एक तो रत्नाकर कालोनी में हर किसी को मानक की माँ की ख्वाहिश और उनकी फिक्र का इल्म हो चुका था, सो सभी अपने अपने स्तर से मानक के लिये सुयोग्य जीवनसाथी तलाशने में पूरी सिद्द्त से जुटे हुये थे.. इसी दौरान एक दिन अचानक.. दोपहर को एक सज्जन का राकेश कुमार के पास कॉल आया... 
पढ़िए ये वार्तालाप.. 
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Unknow- hello.... can I talk to mr. Rakesh kumar..? 
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कुछेक हास्यास्पद गुदगुदाती घटनाओं को कथाकार समयानुसार 
दिखाने सुनाने का अपना अधिकार सुरक्षित रखते हुये आपको 
सीधे जोड़ता है उस संयोग से जो मानक के परिवार और उसको
 दुलार देने वाली बहनों की दुआओं से प्रार्थनाओं से ईश्वर को 
विवश होकर निर्मित करना पड़ा.. एक तो रत्नाकर कालोनी में
 हर किसी को मानक की माँ की ख्वाहिश और उनकी फिक्र का 
इल्म हो चुका था, सो सभी अपने अपने स्तर से मानक के लिये
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 इसी दौरान एक दिन अचानक.. दोपहर को एक सज्जन का 
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Rakesh - yes please.. speaking.. !

Unknow- ओह्ह.. ! जय सियाराम जी.. थैंक गॉड आपने फोन 
अटेंड कर लिया.. बहुत खुशी हुई आपसे बात हो रही है... !

राकेश-जी, श्रीमान आपने जय सियाराम कहा तो मुझे भी 
अपनत्व का भान हुआ.. कहिये जी मैं क्या सहायता कर 
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कुछेक हास्यास्पद गुदगुदाती घटनाओं को कथाकार समयानुसार दिखाने सुनाने का अपना अधिकार सुरक्षित रखते हुये आपको सीधे जोड़ता है उस संयोग से जो मानक के परिवार और उसको दुलार देने वाली बहनों की दुआओं से प्रार्थनाओं से ईश्वर को विवश होकर निर्मित करना पड़ा.. एक तो रत्नाकर कालोनी में हर किसी को मानक की माँ की ख्वाहिश और उनकी फिक्र का इल्म हो चुका था, सो सभी अपने अपने स्तर से मानक के लिये सुयोग्य जीवनसाथी तलाशने में पूरी सिद्द्त से जुटे हुये थे.. इसी दौरान एक दिन अचानक.. दोपहर को एक सज्जन का राकेश कुमार के पास कॉल आया... 
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