आसमान से भी ऊँचा होता है, पिता का कद, उनसे हम जानें कितनी सारी फ़रमाइशें करते थे। ख़ुद की सभी ज़रूरतों को, करते वो अनदेखी, हमारी सभी फ़रमाइशों को, पूरी किया करते थे। पिता की दुआएँ, बच्चों को संकट से बचाती है, पिता बिना फ़रमाइशें, धरी की धरी रह जाती है। 📌नीचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को रचना का सार..📖 की प्रतियोगिता :- 190 में स्वागत करता है..🙏🙏 💫आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।