अंधकार में फैलाते हुए प्रकाश.... दीपक का अस्तित्व सबने जाना है, नजरों ने बस यही पहचाना है, पर उस बाती का क्या...... जो लौ प्रज्वलित करती है, खुद को दीपक में ........सम्मिलित कर.... वह पूरी रात जलती. है, अपने अस्तित्व को खो..... वह दीपक को संपूर्ण करती है। ✍🏼deepti😊 #diya#baati