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मेरे दुश्मन भी मेरे मुरीद है साहब वक्त बेवक्त मेरा

मेरे दुश्मन भी मेरे मुरीद है साहब वक्त बेवक्त मेरा ही नाम लिया करते हैं
मेरी गली से गुजरते हैं छुपा के खंजर रूबरू होने पर सलाम किया करते हैं

©md kamran
  #shairi