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32/ नन्हा पौधा ये बड़ा हुआ , जिसको बचपन में रोपा थ

32/

नन्हा पौधा ये बड़ा हुआ ,
जिसको बचपन में रोपा था।
निर्जीव नहीं हां जीव समझ,
मन प्रीत लिए नित सींचा था।
पुलकित इसको छू मन मेरा
 कहता तुम जीवन दाता हो,
वो श्वास श्वास को तरस गये,
जिस जिस ने इनको काटा था।


संगीता शर्मा शानू

©SHANU KI सरगम पौधा
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नन्हा पौधा ये बड़ा हुआ ,
जिसको बचपन में रोपा था।
निर्जीव नहीं हां जीव समझ,
मन प्रीत लिए नित सींचा था।
पुलकित इसको छू मन मेरा
 कहता तुम जीवन दाता हो,
वो श्वास श्वास को तरस गये,
जिस जिस ने इनको काटा था।


संगीता शर्मा शानू

©SHANU KI सरगम पौधा