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रात मे कितने अन्धेरे है तू क्या जाने, मै कितनी मुद

रात मे कितने अन्धेरे है तू क्या जाने,
मै कितनी मुद्दत से सोया नही हूं, बताया कहॉ है।

एक पल एक पहर सा गुज़रे है, अभी आता होगा,
यही रोमॉच है कि उसने बताया नहीं वो पहुंचा कहॉ है।

बारिश में छतरी हटा कर देख ली मैने, तू कहॉ है,
तेरे बिना कपड़ों के सिवा, कुछ भीगता कहॉ है।

मैं जानता हूं अब भी तू मेरे साथ है जहॉ है
मेरे नाम का पल्लू अपने सर से तूने हटाया कहॉ है।
रात मे कितने अन्धेरे है तू क्या जाने,
मै कितनी मुद्दत से सोया नही हूं, बताया कहॉ है।

एक पल एक पहर सा गुज़रे है, अभी आता होगा,
यही रोमॉच है कि उसने बताया नहीं वो पहुंचा कहॉ है।

बारिश में छतरी हटा कर देख ली मैने, तू कहॉ है,
तेरे बिना कपड़ों के सिवा, कुछ भीगता कहॉ है।

मैं जानता हूं अब भी तू मेरे साथ है जहॉ है
मेरे नाम का पल्लू अपने सर से तूने हटाया कहॉ है।