Unsplash तुम तो चले गए किसी अपने को अपना मानकर हम कहा जाएं तुम्हारी हकीकत जानकार माना की तेरी याद बहुत याद आती है खुदको रोक रखा है तुझे गैर मानकर मेरी आंखों मैं आंसू तेरी निशानी है तुझे माफ भी किया है निर्दोष मानकर मैं अपने दिल का किस्सा सुना भी देती मगर क्या करोगे तुम मेरी कहानी जानकार लौटा दो कुछ सांसें जो मेरी बाकी बची है जिंदगी चल रही है इसी को अपनी रवानी मानकर मैं कुछ देर तक क्यों तुझे सोचती रहती हूं भूलना बेहतर है इन बातों को पुरानी मानकर ©shraddha singh #LibraryOfMoods