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Meri Mati Mera Desh अगर माँ मेरी होती, इस कदर मुझ

Meri Mati Mera Desh अगर माँ मेरी होती, 
इस कदर मुझको ना रोने देती। 
आंचल में अपने मुझे सुलाती, 
बाबू कह मुझे बुलाती। 
सारे कष्ट को मेरे खुद सह लेती, 
बिना आभास जगाए खुद रह लेती। ।
दर दर यूँ न मुझे भटकने देती, 
आँखों में किसी के न खटकने देती। 
चेहरे पे कोई शिकन ना रहने देती, 
हाथ फ़ेर प्यार भरी झप्पी के गहने देती। 
सपनों को मेरे यूँ न बिखरने देती, 
अपनी दुआ दे मुझे संवरने देती। 
चाँद तारे तोड़ मुझे दिलाती, 
छप्पन भोग मुझे खिलाती। 
सितम किसी की थोड़ी होती, 
अगर माँ मेरी होती। ।
written by संतोष वर्मा azamgarh वाले 
खुद की जुबानी। ।

©Santosh Verma
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