मुझसे ऊँचा नहीं है कोई आसमान को छूता इक सफेद चादर को ओढ़े खड़ा हूँ पहने जूता काँप रहे हैं हाथ पाँव तापमान है नीचे बहे नाक से झरना कोई फोटो उसकी खींचे हाल बुरा है मेरा लेकिन घूम रहे शैलानी उन्हे ठंड न लगती मेरी याद आ रही नानी यदि चल फिर पाता बेखुद जाता गर्म प्रदेश कुछ दिन सैर सपाटा करता मिटता मन का क्लेश (पर्वत) ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #snowmountain